नेपाल की भारत को चेतावनी: खुली सीमा से आतंकी खतरे

परिचय

नेपाल ने भारत को एक गंभीर चेतावनी जारी की है, जिसमें पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों द्वारा भारत-नेपाल की खुली सीमा का दुरुपयोग कर हमले करने का खतरा बताया गया है। नेपाल के पूर्व मंत्री और वर्तमान में राष्ट्रपति के राजनीतिक सलाहकार सुनील बहादुर थापा ने यह मुद्दा उठाया है। सीमा की खुली प्रकृति और अतीत की घटनाओं ने इसकी कमजोरियों को उजागर किया है। भारत को इस खतरे को गंभीरता से लेते हुए सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना होगा, साथ ही नेपाल के साथ अपने मजबूत रिश्तों को बनाए रखना होगा।

नेपाल की चेतावनी: सतर्कता की पुकार

आतंकी संगठनों का निशाना

सुनील बहादुर थापा ने हाल ही में काठमांडू में आयोजित एक सेमिनार में चेतावनी दी कि लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे आतंकी संगठन भारत पर हमले के लिए नेपाल को रास्ते के रूप में उपयोग कर सकते हैं। ये संगठन भारत-पाकिस्तान सीमा की कड़ी सुरक्षा से बचने के लिए नेपाल की खुली सीमा का फायदा उठा सकते हैं। खुफिया जानकारी के आधार पर दी गई यह चेतावनी तत्काल कार्रवाई की मांग करती है।

 

भारत का नया सुरक्षा रुख

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिससे यह संदेश गया कि भविष्य में कोई भी आतंकी हमला होने पर पाकिस्तान पर सीधा जवाबी हमला होगा। इस बदलाव ने आतंकी संगठनों को नेपाल जैसे वैकल्पिक रास्तों की ओर धकेला है, ताकि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने खुद को निर्दोष दिखा सके। नेपाल की यह चेतावनी इस संदर्भ में अहम है।

खुली सीमा: अवसर और जोखिम

मजबूत भारत-नेपाल रिश्ते

भारत और नेपाल के बीच 1,751 किमी लंबी खुली सीमा दोनों देशों के सदियों पुराने रिश्तों का प्रतीक है। यह सीमा बिना वीजा या पासपोर्ट के आवाजाही की अनुमति देती है, जिसमें केवल आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र जैसे बुनियादी दस्तावेज दिखाने की जरूरत होती है। यह व्यवस्था आर्थिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देती है, जिसमें कई नेपाली नागरिक भारत में काम करते हैं और भारतीय सेना में सेवा देते हैं।

आतंकियों द्वारा दुरुपयोग

खुली सीमा आतंकियों के लिए भी आसान रास्ता है। वे अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के जरिए नेपाल पहुंच सकते हैं, जहां हवाई अड्डों की सुरक्षा भारत की तुलना में कमजोर है। क्षेत्र में भ्रष्टाचार के कारण नकली पहचान पत्र बनाना आसान है। ऐसे दस्तावेजों के साथ आतंकी भारत में घुस सकते हैं और दिल्ली जैसे बड़े शहरों या उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड जैसे राज्यों को निशाना बना सकते हैं।

 

ऐतिहासिक घटनाएं: कमजोरियों का सबूत

1999 का आईसी-814 अपहरण

1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 का काठमांडू से दिल्ली जाते समय अपहरण हुआ था, जिसने नेपाल के हवाई अड्डों की सुरक्षा खामियों को उजागर किया। आतंकियों ने विमान को अफगानिस्तान ले जाकर यात्रियों को बंधक बनाया, जिसके बदले भारत को जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर सहित तीन आतंकियों को रिहा करना पड़ा। यह घटना सीमा की कमजोरियों का बड़ा उदाहरण है।

हाल की गिरफ्तारियां

अप्रैल 2024 में उत्तर प्रदेश की आतंकवाद निरोधी दस्ते ने दो पाकिस्तानी नागरिकों, मोहम्मद अल्ताफ भट्ट और सैयद गजनफर, को नेपाल सीमा के पास पकड़ा। 2013 में भारत में हुए बम विस्फोटों में भी आतंकी नेपाल सीमा के रास्ते घुसे थे। ये घटनाएं नेपाल की चेतावनी की गंभीरता को दर्शाती हैं।

उभरती चिंताएं: विदेशी प्रभाव

तुर्की की बढ़ती सक्रियता

हाल की रिपोर्ट्स में भारत-नेपाल सीमा पर तुर्की की गतिविधियों में वृद्धि की बात सामने आई है। तुर्की और पाकिस्तान द्वारा सीमा क्षेत्र में मस्जिदों और मदरसों के निर्माण को वित्तीय सहायता दी जा रही है। 2018 से 2021 के बीच नेपाल के सीमावर्ती जिलों में मदरसों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। तुर्की के भारत के साथ तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए यह चिंස

संदिग्ध वित्तीय नेटवर्क

हाल के एक मामले में उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने जलालुद्दीन उर्फ छंगूर SDGuru, उपनाम छंगूर बाबा को पकड़ा, जो नेपाल के रास्ते 500 करोड़ रुपये की हवाला राशि ले जा रहा था। इस तरह के संदिग्ध वित्तीय नेटवर्क भारत-नेपाल सीमा पर आतंकी गतिविधियों को समर्थन दे सकते हैं।

समाधान: सुरक्षा को मजबूत करना

खुफिया सहयोग बढ़ाना

खुली सीमा को बंद करना भारत-नेपाल संबंधों को नुकसान पहुंचाएगा। इसके बजाय, भारत और नेपाल की खुफिया एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय और निगरानी की आवश्यकता है। नेपाल के हवाई अड्डों और सीमा चौकियों पर संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी बढ़ाने से आतंकी घुसपैठ को रोका जा सकता है।

संयुक्त गश्त और निगरानी

भारत की सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) को नेपाल के साथ संयुक्त गश्त बढ़ाने की जरूरत है। उन्नत तकनीक, जैसे ड्रोन और एआई-आधारित निगरानी, का उपयोग सीमा पर घुसपैठ को रोकने में मदद कर सकता है। साथ ही, नकली पहचान पत्र और हवाला नेटवर्क के खिलाफ सख्त कार्रवाई आवश्यक है।

 

निष्कर्ष

नेपाल की भारत को दी गई चेतावनी भारत-नेपाल की खुली सीमा से उत्पन्न होने वाले आतंकी खतरों को रेखांकित करती है। ऐतिहासिक घटनाओं, जैसे 1999 का आईसी-814 अपहरण और हाल की गिरफ्तारियां, इस खतरे की गंभीरता को दर्शाती हैं। तुर्की की बढ़ती गतिविधियों और संदिग्ध वित्तीय नेटवर्क ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। भारत को नेपाल के साथ खुफिया सहयोग बढ़ाने, सीमा पर निगरानी मजबूत करने और हवाला नेटवर्क पर कार्रवाई करने की जरूरत है। इन उपायों से भारत अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है और नेपाल के साथ अपने मजबूत संबंधों को बनाए रख सकता है।

Leave a Comment